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    Home » फिजियोथैरेपी से मरीजों को मिली नई जिंदगी – ड़ॉ सिंगल

    फिजियोथैरेपी से मरीजों को मिली नई जिंदगी – ड़ॉ सिंगल

    Ajay vermaBy Ajay verma15/02/2021No Comments5 Mins Read

    Today Express News | Ajay Verma | स्वास्थ्य डेस्क । हड्डी की जकडऩ और दर्द से राहत देने वाली फिजियोथैरेपी का रोल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। मॉडर्न मशीनों और नए तरीके के प्रयोग से लाइफ सेविंग में थैरेपी ज्यादा कारगर हो गई है। आईसीयू में भर्ती,वेंटीलेटर के सहारे सांस ले रहे मरीजों को नई जिंदगी देने में फिजियोथैरेपी की मदद ली जा रही है।

    फिजियोथैरेपी का पहले मुख्य रोल ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में जाना जाता था। लेकिन अब हड्डी, मांसपेशी के जकडऩ, दर्द या विकलांगता कम करने में इसकी उपयोगिता के साथ-साथ अब गॉयनिक, न्यूरो, कार्डियो, डेंटल के मरीजों में भी इसका प्रयोग फायदेमंद साबित हो रहा है।

    फिजियोथेरिपिस्ट डॉ जितेंद्र सिंगला के अनुसार फिजियोथेरेपी से कई तरह के व्यायाम और नई तकनीक वाली मशीनों की मदद से इलाज करते हैं। आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह- तरह की बीमारियों व दर्द की चपेट में आ जाता है। फिजियोथेरेपी को हम अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर दवाइयों पर निर्भरता कम करके स्वस्थ रह सकते हैं।

    डॉ सिंगला का कहना है कि फिजियोथेरेपी एक चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें लोगों का परीक्षण कर उपचार किया जाता है। फिजियोथेरेपी वह विज्ञान है जिसमें शरीर के अंगों को दवाइयों के बिना ही ठीक ढंग से कार्य कराया जाता है। उन्होंने बताया कि एक फिजियोथेरेपिस्ट का मुख्य काम शारीरिक कामों का आकलन, मेंटिनेंस और रिस्टोरेशन करना है। फिजियोथेरेपिस्ट वाटर थेरेपी, ड्राई निडलिंग, टेपिंग आदि अनेक प्रक्रियाओं के द्वारा रोगी का उपचार करता है। दवा रहित उपचार जिसमें मशीनों की सहायता से मांसपेशियों को रिलेक्स कर सूजन व दर्द में राहत दी जाती है। मशीनी तरंगें दर्द वाले प्रभावित हिस्से पर सीधे काम करती हैं। इसमें ठंडा-गर्म सेक, मैकेनिकल ट्रैक्शन (खिंचाव), टेंस, इत्यादि से इलाज होता है।
    अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी को अपनाना होगा। चिकित्सा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है। जानकारी की कमी की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं। मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। फिजियोथेरेपी कमजोर पड़ते मसल्स और नसों को मजबूत करता है। यही वजह है कि अब इसकी जरूरत कॉडिर्यो रिलेटेड बीमारी से लेकर प्रेगनेंसी तक में जरूरत महसूस की जा रही है। हर प्रकार के क्रोनिक डिजीज में यह काम करता है।
    फिजियोथेरेपी से कुछ दर्द में तो तुरंत आराम मिलता है, पर स्थायी परिणाम के लिए थोड़ा वक्त लग जाता है। दर्द निवारक दवाओं की तरह इससे कुछ ही घंटों में असर नहीं दिखाई देता। खासकर फ्रोजन शोल्डर, कमर व पीठ दर्द के मामलों में कई सिटिंग्स लेनी पड़ सकती हैं। कई मामलों में व्यायाम भी करना पड़ता है और जीवनशैली में बदलाव भी। इलाज की कोई भी पद्धति तभी कारगर साबित होती है, जब उसका पूरा कोर्स किया जाए। फिजियोथेरेपी के मामले में यह बात ज्यादा मायने रखती है। फिजियोथेरेपी में दर्द की मूल वजहों को तलाश कर उस वजह को ही जड़ से खत्म कर दिया जाता है। मसलन यदि मांसपेशियों में खिंचाव के कारण घुटनों में दर्द है तो स्ट्रेचिंग और व्यायाम के जरिये इलाज किया जाता है।
    बैठने, खड़े होने या चलने के खराब पॉस्चर की वजह से या मांसपेशियों में खिंचाव के कारण या फिर आर्थ्राइटिस की वजह से कमर व पीठ में दर्द बढ़ जाता है। पीठ दर्द के इलाज के लिए फिजियोथेरेपी में कुछ सामान्य तरीके आजमाए जाते हैं। इनमें से एक है शरीर का वजन कम करना, ताकि जोड़ में पड़ने वाले अतिरिक्त भार को कम किया जा सके। दूसरा, मांसपेशियों की मजबूती और तीसरा तरीका है, रीपैटर्निग ऑफ मसल्स यानी किसी खास हिस्से में मांसपेशियों के पैटर्न को व्यायाम के जरिये ठीक करना। हमारी पीठ व कूल्हे के निचले हिस्से में करीब दो दर्जन से ज्यादा मांसपेशियां होती हैं, जिनका ठीक रहना जरूरी है।
    लाइफस्टाइल संबंधी परेशानी (मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज), क्लाइमेट चेंज से जुड़ी तकलीफें (लंबे समय तक दफ्तर के एसी में रहना, धूप के बिना रहना, लंबी सिटिंग आदि, ऐसा वातावरण जो परेशानी को बढ़ाता है), मैकेनिकल एवं ऑर्थोपेडिक डिसऑर्डर (पीठ, कमर, गर्दन, कंधे, घुटने का दर्द या दुर्घटना के कारण भी), आहार विहार (जोड़ों का दर्द, हार्मोनल बदलाव, पेट से जुड़ी समस्याएं), खेलकूद की चोटें, ऑर्गन डिसऑर्डर, ऑपरेशन से जुड़ी समस्याएं, न्यूरोलॉजिकल बीमारियां (मांसपेशियों का खिंचाव व उनकी कमजोरी, नसों का दर्द व उनकी ताकत कम होना), चक्कर आना, कंपन, झनझनाहट, सुन्नपन और लकवा, बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण चलने फिरने में दिक्कत, बैलेंस बिगड़ना, टेंशन, हैडेक और अनिद्रा में फिजियोथेरेपी को अपना सकते हैं।
    फिजियोथेरेपी में हर इलाज संभव होता। मरीज को धैर्य रखते हुए एक्सपर्ट के बताए अनुसार व्यायाम करने और जीवनशैली में बदलाव लाने से न सिर्फ दीर्घकालिक लाभ होता है बल्कि एक्सरसाइज भी उसकी जीवनशैली का नियमित हिस्सा बन जाते हैं। ये दोनों चीजें दवा रहित जीवन व बीमारियों को दूर रखने में मददगार होती हैं।

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