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    Home » ग्रामीण अर्थव्यवस्था की पहचान हस्तशिल्प को अंतरराष्ट्रीय पहचान दे रहा है सूरजकुंड : सत्यदेव नारायण आर्य

    ग्रामीण अर्थव्यवस्था की पहचान हस्तशिल्प को अंतरराष्ट्रीय पहचान दे रहा है सूरजकुंड : सत्यदेव नारायण आर्य

    Ajay vermaBy Ajay verma16/02/2020No Comments6 Mins Read

    TODAY EXPRESS NEWS / REPORT / AJAY VERMA / हरियाणा के राज्यपाल श्री सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा कि फैशन इन्डस्ट्री, हैंडीक्राफ्ट व हैंडलूम से जुडऩे के बाद हथकरघा वस्तुओं के व्यवसाय ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई पहचान दी है और सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला इस पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित कर रहा है। श्री आर्य रविवार को 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। श्री आर्य ने मेले के सफल आयोजन के लिए पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार और हरियाणा पर्यटन विभाग को बधाई देते हुए देश-विदेश से आए सभी कलाकारों, शिल्पकारों एवं दर्शकों का स्वागत भी किया। उन्होंने कहा कि मानव-जीवन में कला, संस्कृति और संगीत का बहुत महत्व होता है और यह मेला इन तीनों का एक अद्भुत संगम है।

    उन्होंने कहा कि विश्व के 40 देशों के कलाकारों और शिल्पकारों की कृतियों और प्रस्तुतियों से इस मेले में समूचे विश्व की संस्कृति की झलक मिलती है। मेले के सहभागी देश उज्बेकिस्तान को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास में उज्बेकिस्तान और भारत के संबंधों की जड़ें बहुत गहरी हंै। दोनों देशों का व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ वास्तुकला, नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक संबंधों में भी एक दूसरे के साथ गहरा योगदान है। भारतीय सिनेमा उज्बेकिस्तान में बहुत ही लोकप्रिय रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय मेले में सहभागी देश के रूप में भाग लेेने से भारत और उज्बेकिस्तान के सम्बन्ध निश्चित रूप से और अधिक मजबूत होगें।

    मेले के थीम स्टेट हिमाचल प्रदेश के लोगों को धन्यवाद देते हुए महामहिम राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल की संस्कृति की अपनी ही पहचान है, प्रदेश में नैना देवी, ज्वालामुखी, शिव मंदिर बैजनाथ, तारा देवी मंदिर, चिंतपूर्णी मंदिर जैसे देवी-देवताओं के कई विख्यात मंदिर हैं। हिमाचल प्रदेश के त्योहार व उत्सव बेहद खास होते हैं क्योंकि प्रदेश का हर उत्सव देवी-देवता से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के मंदिरों और उत्सवों की इस निराली संस्कृति का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान है जो देश को सांस्कृतिक रूप से मजबूती प्रदान करता है। इसके लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के पर्यटन विभाग की सराहना की और कहा कि उन्होंने मेले में बहुत ही अच्छे शिल्पकारों व लोक कलाकारों को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने भी अपने भाषण में कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय मेले में ग्रामीण भारत की झलक बताया था। ग्रामीण क्षेत्रों के शिल्पकारों द्वारा बनाई गई हथकरघा वस्तुओं को मेले में एक पटल मिला है जिससे उनकी कृतियां अंतरराष्टï्रीय स्तर पर फैशन इन्डस्ट्री से जुड़ा है।

    श्री आर्य ने कहा कि इस मेले में निर्यातकों और खरीददारों को आमने-सामने मिलने का अवसर तो प्राप्त होता ही है, कलाकारों को भी अपनी कला को अधिक निखारने के लिए बहुत-कुछ सीखने को मिलता है। मधुबनी पेंटिंग को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने वाले ग्रामीण क्षेत्र से निकले हुए बिहार के शिल्पकारों व चित्रकारों को भी उन्होंने बधाई दी। मेले में श्रेष्ठ शिल्पियों को विशेष पुरस्कार कलारत्न, कलामणि, कलानिधि और कलाश्री पुरस्कार पाने वाले कलाकारों को भी उन्होंने बधाई दी। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने सूरजकुंड मेले में आगमन को अपने जीवन का अद्भुत पल बताया और कहा कि आज हिमाचल के हरियाणा में आगमन का अहसास हो रहा है। उन्होंने कहा कि 24 साल बाद हिमाचल प्रदेश को इस मेले में थीम स्टेट बनने का अवसर मिला है जो गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि यहां देश के सभी राज्यों सहित विश्व के कई देशों के कलाकारों और शिल्पकारों को आने का मौका मिला है। यहां आकर हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि इस मेले ने हिमाचल के शिल्प को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि पूरा देश गांवों से शहरों की तरफ दौड़ रहा है लेकिन इस मेले के जरिए हम शहरों को गांवों की तरफ लाने में कामयाब रहे हैं।

    कार्यक्रम में उज्जबेकिस्तान के राजदूत फरोज अरजीव ने मेले के में भागीदार देश बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम दोनों देशों की दोस्ती को और अधिक मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि हमारे कलाकारों और शिल्पकारों ने पिछले 16 दिनों में यहां अपनी जो प्रस्तुती दी है उससे दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्ते व भाईचारा मजबूत होगा। कार्यक्रम में हरियाणा के पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि इस मेले के जरिए देश के सभी राज्यों के लोगों को मिलने और 40 देशों की संस्कृति को जानने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि इससे कला व कलाकार को लाभ होता है। शिल्पकारों को सीधे ग्राहक मिल जाते हैं जिससे दोनों का फायदा होता है। उन्होंने कहा कि मैने इस मेले को साल में दो बार करने का मौका तलाशने के लिए कहा था लेकिन मेले के आयोजन से पहले कई महीने के मेहनत लगती है। ऐसे में हम बीच में एक दूसरा छोटा आयोजन करने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं।

    उन्होंने मेले के आयोजन के लिए पर्यटन विभाग के अतिरिकत मुख्य सचिव विजय वर्धन व उनकी टीम को बधाई भी दी। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए हरियाणा पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन रणधीर सिंह गोलन ने कहा कि इस मेले की पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि इस मेले में दिल्ली व आस-पास के जिलों से अधिक लोगों की भागीदारी रहती है। भविष्य में हरियाणा के अन्य हिस्सों से भी लोग यहां आकर मेला देखें इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। मेले के समापन पर सभी का धन्यवाद करते हुए हरियाणा पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन ने कहा कि इस मेले में इस बार 40 देशों के कलाकार, शिल्पकार और 15 हजार से अधिक देशभर के शिल्पी पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि रविवार सुबह तक 13 लाख से अधिक पर्यटक मेले का दौरा कर चुके थे।

    उन्होंने कहा कि हमने पहली बार यूनाईटेड किंगडम के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें भारत के कलाकार पहली बार विदेशी कलाकारों के साथ प्रस्तुती देंगे। उन्होंने कहा कि अधिकतर कलाकार आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं होते ऐसे में ग्लोबल मित्र मिलने से इन कलाकारों की आर्थिक तरककी के नए रास्ते खुलेंगे। उन्होंने मेले के आयोजन के लिए टूरिज्म, टेकसटाईल्स और विदेश मंत्रालय का भी धन्यवाद किया और कहा कि यह मेला भारत की एकता का प्रतीक है। उन्होंने थीम स्टेट हिमाचल प्रदेश व सहभागी राष्ट्र उज्बेकिस्तान का धन्यवाद भी किया। इस अवसर पर बडख़ल की विधायक सीमा त्रिखा, एमडी टूरिज्म राजीव रंजन, राज्यपाल की सचिव जी अनुपमा, एमडी टूरिज्म हिमाचल प्रदेश युनूस, मंडलायुकत संजय जून, मेयर सुमन बाला, भाजपा जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा, मेला प्राधिकरण अधिकारी बेलिना, मेला अधिकारी राजेश जून सहित कई गणमान्य व्यकित उपस्थित थे।

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