मेट्रो अस्पताल में 400 स्ट्रोक मरीजों को मिला नया जीवन : डा. रोहित गुप्ता

0
659

TODAY EXPRESS NEWS : फरीदाबाद। वल्र्ड स्ट्रोक डे की पूर्व संध्या पर सेक्टर-16ए स्थित मेट्रो अस्पताल में एक जागरुकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डा. रोहित गुप्ता ने स्ट्रोक होने के लक्ष्ण एवं उसके बचाव के तरीकों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। इस सेमिनार में रेजिडेंट वेलफेयर एसो. के साथ-साथ कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। सेमिनार में पंकज मेहरा व हरेंद्र नामक व्यक्ति भी मौजूद थे, जिन्हें स्ट्रोक हुआ था और उनका थ्रोम्बोलिसिस तकनीक से सफल इलाज हुआ, उन्होंने भी स्ट्रोक के उपचार से जुड़े अपने अनुभव को साझा किया।  डा. गुप्ता ने बताया कि थ्रोम्बोलिसिस तकनीक के द्वारा स्ट्रोक का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है और अब तक वह इस इंजेक्शन के माध्यम से करीब 400 स्ट्रोक मरीजों को लाभ पहुंचा चुके है क्योंकि इसके परिणाम बहुत अच्छे है। उन्होंने कहा कि थ्रोम्बोलिसिस इंजेक्शन मरीज को स्ट्रोक होने के साढ़े तीन घण्टे तक दे दिया जाना चाहिए, जिससे वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है परंतु साढे चार घण्टे के बाद इस इंजेक्शन का कोई फायदा नहीं होता इसलिए स्ट्रोक के मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए, जहां उसके सिटी स्क्रैन होने के बाद उसका इलाज शुरु हो सके। डा. रोहित गुप्ता ने बताया कि अन्य देशों के मुकाबले में भारत में स्ट्रोक के मरीजों में लगातार वृद्धि हो रही है। स्ट्रोक एक इमरजेंसी है, जिसके बारे में जानकारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता किसी जिंदगी बचा सकती है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष भारत में 16 से 18 लाख लोगों की स्ट्रोक से मौत होती है।ब्रेन स्ट्रोक के लक्ष्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं रक्त के अभाव में मृत होने लगती हैं, अचानक संवेदनशून्य हो जाना, शरीर के एक भाग में कमजोरी आ जाना, बोलने में मुश्किल होना, चलने में मुश्किल एवं चक्कर आना इसके लक्ष्ण है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के मुख्य कारण आजकल की आधुनिक जीवनशैली, तनाव, हाईपरटेंशन, धूम्रपान और डायबिटिज है। स्ट्रोक रोगियों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन एक नई तकनीक है, मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद में थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक द्वारा अब तक 400 से अधिक मरीजों को ठीक किया जा चुका है। इसके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। हमारे विभाग में उच्च न्यूरो इमेजिंग तकनीक संसाधन उपलब्ध है। अस्पताल में एमआरआई व सीटी स्कैन की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक/लकवाग्रस्त 40 साल से कम के लोगों में भी हो सकता है। थ्रोम्बोलाइसिस की यह तकनीक लकवा होने के 4.5 घण्टे तक की जा सकती है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त होने पर मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल लेकर आना चाहिए। डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा के उपयोग व जागरुकता पर जोर देने की जरुरत है। विंडो पीरियड का महत्व, थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा का लाभ, स्ट्रोक के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )


CONTACT FOR NEWS : JOURNALIST AJAY VERMA – 9716316892 – 9953753769
EMAIL : todayexpressnews24x7@gmail.com , faridabadrepoter@gmail.com

LEAVE A REPLY