रिपोर्ट अजय वर्मा। फरीदाबाद, 23 दिसंबर, 2025: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद ने एडवांस पिडियाट्रिक सर्जरी में अपनी विशेषज्ञता और दयाभाव के साथ देखभाल की अद्भुत मिसाल पेश करते हुए, दुर्लभ और अत्यंत जटिल बाइलेटरल रेडियल क्लब हैंड (इन्वर्टेड हैंड्स) के साथ जन्मी एक-वर्षीय बच्ची की सफलतापूर्वक सर्जरी की है। दोनों हाथों को प्रभावित करने वाली यह कंडीशन इतनी दुर्लभ होती है कि दुनियाभर में प्रति 2 लाख जन्मों में से केवल एक शिशु के मामले में ही सामने आती है। जन्म के समय ही सामने आयी इस विकृति के चलते, बच्ची के दोनों हाथ टेढे-मेढ़े (misaligned) थे और दोनों हथेलियों के अंगूठे नदारद थे, ऐसे में यदि जल्द से जल्द करेक्टिव सर्जरी नहीं की जाती तो यह बच्ची हमेशा के लिए विकलांगता की शिकार हो सकती थी।
डॉ मनीष नंदा, एडिशनल डायरेक्टर, प्लास्टिक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस कंडीशन के मद्देनजर बेहद चुनौतीपूर्ण सर्जरी को अंजाम दिया। आमतौर पर ऐसे मामलों में जल्द से जल्द हस्तक्षेप, अत्यंत स्पेश्यलाइज़्ड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जिकल विशेषज्ञता जरूरी होती है ताकि स्थायी विकृति से बचाव हो और साथ ही, हाथों की कार्यप्रणाली (फंक्शन) भी सही-सलामत रहे।
इस शिशु के युवा पेरेंट्स के लिए भी यह डायग्नॉसिस काफी चिंताजनक था। उनकी बच्ची हाथों के बुनियादी फंक्शन भी नहीं कर पा रही थी, और आजीवन विकलांग हो सकती है, इस ख्याल ने उन्हें काफी डरा दिया था। जब वे फोर्टिस फरीदाबाद आए, और बच्ची के हाथों तथा सर्वाइकल स्पाइन का एक्स-रे किया गया तो इस कंडीशन की गंभीरता का अंदाजा लगा। इस जटिलता को और भी बढ़ाने वाली बात यह थी कि बच्ची के हृदय में भी जन्मजात विसंगति का पता चला, जिसकी वजह से किसी भी प्रकार का सर्जिकल हस्तक्षेप काफी जोखिमभरा कदम हो सकता था। ऐसे मामलों में अत्यधिक सटीकता, सावधानीपूर्वक टाइमिंग तथा विभिन्न टीमों के बीच परस्पर तालमेल जरूरी होता है।
इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, डॉ मनीष नंदा के नेतृत्व वाली मल्टीडिसीप्लीनरी टीम ने एक माह की अवधि में टू-स्टेज करेक्शन सर्जरी को अंजाम दिया। यह दुनियाभर में स्वीकृत सर्जरी है। पहले स्टेज में, डॉक्टरों ने एक छोटे आकार के बाहरी डिवाइस की मदद से कलाई के आसपास की कठोर त्वचा और ऊतकों को धीरे-धीरे फैलाया जिससे करेक्शन के लिए जगह तैयार हुई। एक माह बाद, दूसरे स्टेज में, सर्जन्स ने फोरआर्म की हड्डी को कलाई के बीचोंबीच तक आगे बढ़ाया। इससे कलाई को स्थिर करने और हाथों को सीधे तथा सामान्य स्थिति के मुताबिक बढ़ने में मदद मिली।
इस पूरी प्रक्रिया को बेहद सटीकता के साथ पूरा किया गया हालांकि इस एक-वर्षीय शिशु की हार्ट कंडीशन के चलते सर्जरी का जोखिम काफी अधिक था। प्रत्येक हाथ की सर्जरी में करीब एक घंटे का समय लगा। किसी शिशु की बाइलेटरल विकृति को करेक्ट करने के लिए, जिसमें स्नायु, रक्तवाहिकाएं और नए विकसित हो रही कई नाजुक संरचनाएं भी शामिल थीं, काफी उत्कृष्ट सर्जिकल कौशल और भरपूर तालमेल की आवश्यकता थी। लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, अस्पताल की मेडिकल टीम ने काफी सुरक्षित और सावधानी के साथ सर्जरी को अंजाम दिया, और शिशु के हाथों की सामान्य कार्यप्रणाली को बहाल किया।
मामले की और जानकारी देते हुए, डॉ मनीष नंदा, एडिशनल डायरेक्टर, प्लास्टिक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ने कहा, “यह बेहद दुर्लभ और साथ ही, चुनौतियों से भरपूर मेडिकल केस था। एक साल की ऐसी नन्ही बच्ची की सर्जरी के लिए, जिसके दोनों हाथों में विकृति थी, सटीकता, प्लानिंग तथा टीमवर्क की अपेक्षा थी। यदि इस बच्ची का उपचार नहीं किया जाता, तो रेडियल क्लब हैंड आगे चलकर स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता था, जिसकी वजह से मूवमेंट सीमित हो सकती थी, और फंक्शनल तथा कॉस्मेटिक चैलेंज भी बढ जाते। लेकिन समय पर करेक्टिव सर्जरी कर बच्ची के सामान्य ढंग से हाथों के विकास की प्रक्रिया को बहाल करने से उसकी लाइफ क्वालिटी भी सुनिश्चित हुई है। हमें इस शिशु को रिकवर करते हुए देखकर बेहद गर्व महसूस होता है जो अपने नॉर्मल हैंड फंक्शन की तरफ अपना सफर बढ़ा रही है। समय पर उपचार मिलने से ही उसकी कंडीशन में यह बदलाव मुमकिन हो सकता है। शुरुआत में ही हस्तक्षेप से बच्ची के हाथों के फंक्शन को ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और लाइफ क्वालिटी को भी सुनिश्चित किया जा सका है।
डॉक्टरों का आभार व्यक्त करते हुए, इस शिशु की मां ने कहा, “जब हमने पहली बार इस कंडीशन के बारे में सुना, तो हम डर गए थे। हमें समझ नहीं आ रहा था कि हमारी बच्ची अपने हाथों का सामान्य तरीके से कभी इस्तेमाल कर भी पाएगी या नहीं। उसके नन्हें हाथों का धीरे-धीरे सीधा होकर सामान्य होते हुए देखना सचमुच किसी चमत्कार से कम नहीं है। हम फोर्टिस की टीम के हमेशा आभारी रहेंगे जिन्होंने हमारी बेटी को नॉर्मल लाइफ जीने का यह अवसर दिया है।
डॉ अभिषेक शर्मा, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद ने कहा, “यह मामला उस उन्नत पिडियाट्रिक सर्जिकल क्षमताओं का सबूत है जो हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल, फरीदाबाद में तैयार की हैं। अत्यंत दुर्लभ बाइलेटरल रेडियल क्लब हैंड (bilateral radial club hand) से पीड़ित से एक-वर्षीय शिशु के इलाज के लिए बेहद सटीकता, विभिन्न विभागों के बीच भरपूर तालमेल और समय पर हस्तक्षेप की जरूरत थी। मुझे इस बात पर गर्व है कि हमारी टीम ने इस जटिल करेक्शन सर्जरी को सुरक्षित और सफल तरीके से पूरा किया। ऐसे मामलों में जल्द से जल्द उपचार से आजीवन विकलांगता से बचाव होता है और प्रभावित शिशु को भी सामान्य तरीके से फलने-फूलने का मौका मिलता है। फोर्टिस में, हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम देखभाल का लाभ मिले, भले ही उसकी कंडीशन कितनी भी दुर्लभ या चुनौतीपूर्ण ही क्यों न हो।
