टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। सात साल पहले, कलर येलो और दूरदर्शी निर्देशक आनंद एल राय ने दर्शकों को “मनमर्जियाँ” जैसी फिल्म का तोहफ़ा दिया — एक ऐसी कहानी, जिसने आधुनिक प्रेम को उसकी जटिलताओं के साथ, बिना किसी दिखावे के, बेहद सच्चाई से परिभाषित किया। आनंद एल राय के रचनात्मक मार्गदर्शन में कलर येलो के बैनर तले निर्मित और अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने पारंपरिक प्रेम कहानियों की रेखाओं को तोड़ते हुए, प्यार को एक अव्यवस्थित, अधूरा लेकिन बेहद मानवीय रूप में प्रस्तुत किया।
तापसी पन्नू, विक्की कौशल और अभिषेक बच्चन द्वारा अभिनीत इस फिल्म ने पंजाब के एक छोटे से शहर बैकग्राउंड में इच्छा, ज़िम्मेदारी और समर्पण के बीच के जटिल रिश्तों को गहराई से दिखाया गया।
कलर येलो ने इस अवसर का जश्न मनाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और लिखा, “7 साल बीत गए, पर हम आज भी उलझे हैं दिल, दोस्ती और मनमर्ज़ी के बीच।
रूमी, विक्की और रॉबी – एक ऐसी तिकड़ी जिसे हम कभी नहीं भूल सकते। #7YearsOfManmarziyaan”
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मनमर्जियाँ को खास बनाने वाली बात यह थी कि इसमें आसान जवाब या परीकथा जैसा ख़ुशहाल समाप्ति देने से इनकार किया गया था। इस फिल्म ने दर्शकों को सिखाया कि प्यार हमेशा परफेक्ट नहीं होता — वह उलझा हुआ, असमंजस से भरा और कई बार कड़वा भी हो सकता है, फिर भी वह सुंदर होता है।
कलर येलो की सच्ची और ज़िंदगी से जुड़ी कहानियाँ कहने की प्रतिबद्धता, और आनंद एल. राय की भावनात्मक रूप से असरदार कहानी कहने की कला ने मिलकर एक ऐसी फिल्म बनाई जो दर्शकों को रिश्तों के विरोधाभासों को स्वीकार करने की चुनौती देती है।
आज सात साल बाद भी, यह फिल्म आधुनिक रिश्तों को लेकर चर्चाओं को जन्म देती है। यह साबित करती है कि कुछ कहानियाँ समय के साथ और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती हैं — और इसने कलर येलो की उस पहचान को और मजबूत किया है जो साहसी और अर्थपूर्ण सिनेमा का समर्थन करती है।