टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । भारत, 04 अगस्त 2025: जब हर्ष पटेल और शक्ति पटेल ने अहमदाबाद की एक छोटी यूनिट से अरेसा इंडस्ट्रीज़ की शुरुआत की, तब उनका उद्देश्य किसी बड़े बदलाव का दावा करना नहीं था। वे तो बस उस क्षेत्र में एक टिकाऊ व्यवसाय खड़ा करना चाहते थे, जिससे उन्हें सबसे ज़्यादा लगाव था—और वह था ऑटोमेशन।
एक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, जबकि दूसरे का अनुभव बैंकिंग क्षेत्र में था। लेकिन दोनों ही अगली पीढ़ी की तकनीकों—जैसे ऑटोमेटेड एंट्रेंस सॉल्यूशंस, एक्सेस कंट्रोल सिस्टम और सेंसर-आधारित समाधान—की ओर आकर्षित होते चले गए। ये तकनीकें भारतीय फैक्ट्रियों, वाणिज्यिक भवनों और निजी परिसरों को अधिक स्मार्ट और सुरक्षित बना सकती थीं। यही रुचि धीरे-धीरे एक पूर्णकालिक व्यवसाय में बदल गई। आज अरेसा इंडस्ट्रीज़ हर साल करीब 2.5 लाख अमेरिकी डॉलर का कारोबार करती है और पूरे भारत में फैले ग्राहकों को सेवाएं प्रदान कर रही है।
अरेसा इंडस्ट्रीज़ का कार्य मॉडल लचीला और किफायती है। कंपनी चीन से हाई-टेक कंपोनेंट्स आयात करती है, उन्हें भारतीय ज़रूरतों के अनुसार अनुकूलित करती है और देशभर के लघु एवं मध्यम उद्यमों को कस्टम ऑटोमेशन समाधान उपलब्ध कराती है। प्रवेश से लेकर भवन स्वचालन तक—इनकी सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है।
हालांकि बैकएंड संचालन की अपनी चुनौतियां थीं। शक्ति बताते हैं, “हम अक्सर छोटे बैच में आयात करते हैं, जिसकी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता था—दस्तावेज़ीकरण, भुगतान और समन्वय में ही घंटों चले जाते थे।” इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कंपनी ने अब डिजिटल टूल्स को अपनाया है, जैसे फेडएक्स इंपोर्ट टूल (FiT), जिसकी मदद से आयात प्रक्रिया कहीं ज़्यादा तेज़ और आसान हो गई है। शक्ति बताते हैं, “जो काम पहले 20 मिनट लेता था, वह अब 2 मिनट में पूरा हो जाता है। इससे टीम पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता।”
हर्ष और शक्ति जैसे संस्थापक भारत में उभर रही उस नई एमएसएमई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो तकनीक, इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स के संगम से छोटे लेकिन तेज़ी से बढ़ते उद्योग क्षेत्रों को सेवाएं दे रही है। मैकिन्ज़ी के ग्लोबल इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स सर्वे (2022) के अनुसार, औद्योगिक कंपनियां अपने पूंजीगत व्यय का लगभग 25% हिस्सा अब स्वचालन (ऑटोमेशन) पर खर्च कर रही हैं—यह इस बात का संकेत है कि तकनीक अब सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट्स तक सीमित नहीं, बल्कि एसएमई सेक्टर की भी ज़रूरत बन चुकी है।
लॉजिस्टिक्स: अब सिर्फ डिलीवरी नहीं, रणनीति का हिस्सा बन चुका है। शक्ति कहते हैं, “अब बात सिर्फ पार्सल पहुंचाने की नहीं है। हमारे लॉजिस्टिक्स साझेदार अब हमारे व्यवसाय को समझते हैं, ज़रूरतों के अनुसार सलाह देते हैं और दीर्घकालिक योजना में भी मदद करते हैं।”
हर्ष और शक्ति के लिए यह यात्रा सिर्फ व्यापार की नहीं, बल्कि एक सीखने की प्रक्रिया रही है। “हमने शुरुआत सिर्फ कमाने के लिए नहीं की थी, हमारा मकसद था सीखना,” शक्ति कहते हैं। “ऑटोमेशन ही भविष्य है—हम हर दिन उसका एक छोटा हिस्सा गढ़ रहे हैं। और जब साथ में सही लॉजिस्टिक्स सहयोगी हो, तो यह सफर और भी तेज़ और प्रभावशाली हो जाता है।”