टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर की भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा केवल रस्मों-रिवाज़ों तक सीमित नहीं है। यह एक निजी, भावनात्मक और उनके रोज़मर्रा के जीवन में गहराई से रचा-बसा रिश्ता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी के मौके पर, ईशा अपने दिल से जुड़ी कुछ खास बातें साझा करती हैं—कि कैसे वह बप्पा को केवल अपने घर में नहीं, बल्कि अपने दिल और दिनचर्या में भी स्थान देती हैं।
उनके उत्सव को विशेष बनाता है उनका बप्पा के प्रति सच्चा प्रेम। इतना कि वह उन्हें खाने की मेज़ पर भी अपने साथ बैठाती हैं, जैसे वह परिवार के एक सच्चे सदस्य हों। ईशा बताती हैं, “मैं हमेशा चाहती हूं कि बप्पा मेरे पास रहें। मैंने उनके लिए अपने पास एक छोटा-सा बिस्तर बनाया है, जहां वह रात को सोते हैं। और हर सुबह, स्नान के बाद, मैं उन्हें प्रेम से उनके आसन पर बिठाती हूं। मेरा बप्पा से रिश्ता इतना निजी है।”
जहाँ कई भक्त डेढ़ दिन के पारंपरिक विसर्जन का विकल्प चुनते हैं, वहीं ईशा ने इस वर्ष बप्पा को पूरे तीन दिनों तक अपने घर में विराजमान रखने का निर्णय लिया है। वह बताती हैं, “मुझे पता है कि तीन दिन का कोई निश्चित नियम नहीं है, लेकिन मैंने यही तय किया है। मैं अपनी बेटी रियाना के साथ अकेली रहती हूँ, और पिछले साल मैंने सब कुछ अकेले संभाला था। इस साल हम इसमें और अधिक प्रेम और समय जोड़ रहे हैं। इस बार हमने जंगल थीम चुनी है, और मेरा बप्पा इस बार हरियाली से घिरे शांत वातावरण में रहेंगे।”
ईशा का गणेशोत्सव से जुड़ाव बचपन से है। वह याद करती हैं, “स्कूल से लौटते ही तुरंत बाद मैं परफॉर्मेंस की रिहर्सल में कूद पड़ती थी। बप्पा के आने से पहले, माँ और मैं साथ बैठकर दस नारियल रंगते थे। यह परंपरा आज भी जारी है।”
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जब उनसे पूछा गया कि गणपति उत्सव के और कौन से ख़ास पल उन्हें याद हैं, तो उन्होंने बताया कि इस उत्सव में उनके और उनकी बेटी रिआना के बीच क्या-क्या अलग-अलग व्यक्तित्व उभरकर सामने आते हैं। ईशा आगे कहती हैं, “मेरी बेटी शर्मीली है, और मैं हमेशा एनर्जी से भरपूर रहती हूँ। जब मैं उत्सव के दौरान गाती और नाचती हूँ, तो वह अक्सर मुझे आश्चर्य से देखती रहती है। यह विपरीत स्वभाव ही इस उत्सव को और खास बना देता है।”
ईशा का गणेश चतुर्थी से रिश्ता और भी गहरा है। वह बताती हैं कि उनका जन्म ठीक उसी दिन हुआ था जब गणपति विसर्जन होता है—जिस दिन हर कोई नम आँखों से बप्पा को विदा करते हैं, लेकिन अगले साल फिर आने का वादा भी लेते है। ईशा कहती हैं, “इसीलिए मेरा नाम ईशा रखा गया, जिसका अर्थ देवी होता है—बिल्कुल पार्वती माँ की तरह, जो बप्पा की माँ हैं।”