टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। फिटनेस आइकन और उद्यमी कृष्णा श्रॉफ अपने रिएलिटी टीवी शो ‘छोरियाँ चली गाँव’ की यात्रा के दौरान तब बेहद भावुक हो गईं, जब उन्हें अपने पिता जैकी श्रॉफ का एक दिल छू लेने वाला संदेश मिला। भिडू, जैसा कि उन्हें प्यार से बुलाया जाते है, उन्होंने अपनी बेटी को गाँव के जीवन को अपनाते हुए देखकर अपार गर्व और खुशी व्यक्त की। उनके स्नेह से भरे शब्दों में आशीर्वाद और हौसला था, जिसमें उन्होंने कृष्णा के उस फैसले की तारीफ की, जिसमें वह शहरी जीवन को पीछे छोड़कर ग्रामीण जीवन का अनुभव लेने आईं।
जैकी का संदेश, जिसमें उन्होंने अपने खास अंदाज़ में कहा – “जय जवान, जय किसान”, “जय हो, जय हो, गंगा मइय्या” और “जय माई की, चिंता काई की” – उनके दिल से निकली खुशी को दर्शाता है। ये शब्द कृष्णा के दिल को छू गए।
यह भावुक पल और भी गहरा तब हो गया जब कृष्णा ने अपने और अपने पिता के रिश्ते को लेकर दिल खोलकर बात की। उन्होंने एक दुर्लभ और संवेदनशील पल में कबूल किया, “सच कहूं तो, मैं इस सफर पर सिर्फ पापा की वजह से आई। उन्होंने मुझे पुश किया, मोटिवेट किया। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं इस सफर पर निकलती हूं, तो मैं एक अलग इंसान बन सकती हूँ और बहुत कुछ सीख सकती हूँ।”
कृष्णा ने ये भी साझा किया कि हालांकि वो आमतौर पर अपनी माँ के ज्यादा करीब हैं, लेकिन ये जानना कि उनके पापा पहले से ही उन पर गर्व करते हैं, उनके लिए “सब कुछ है।” इस बयान ने उनके और जैकी श्रॉफ के रिश्ते की वो झलक दिखाई, जो आमतौर पर लोग नहीं देख पाते।
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पिता और बेटी के इस भावनात्मक संवाद ने यह साबित कर दिया कि माता-पिता का गर्व बच्चों के लिए कितना बड़ा प्रेरणा बन सकता है, खासकर जब यह जैकी श्रॉफ जैसे प्यारे व्यक्ति से हो। कृष्णा का यह भावुक स्वीकारोक्ति कि “मैं जीवन में जो कुछ भी करती हूँ, हमेशा उन्हें गर्व महसूस कराने के लिए करता हूँ,” यह न सिर्फ उनके साथी प्रतियोगियों बल्कि गांव के लोगों को भी गहराई से छू गया, जिससे वहाँ मौजूद सभी लोगों की आँखें नम हो गईं।
यह पल इस बात की एक खूबसूरत याद दिलाता है कि कैसे अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलकर नए अनुभवों को अपनाना न केवल व्यक्तिगत विकास की ओर ले जा सकता है, बल्कि अप्रत्याशित और सार्थक तरीकों से पारिवारिक बंधन को भी मजबूत कर सकता है।
कृष्णा का ‘छोरियां चली गांव’ में सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है।
शो के पहले ही ‘अग्नि परीक्षा’ टास्क में ‘छोरी नंबर 1’ बनने से लेकर अपने सह-प्रतियोगियों और गांववालों से मजबूत जुड़ाव बनाने तक, उन्होंने हर कदम पर खुद को साबित किया है। उन्हें न सिर्फ शो देखने वाले दर्शकों से, बल्कि बमूलिया गांव के लोगों से भी भरपूर समर्थन मिल रहा है।
कृष्णा ने अपनी लगन, मेहनत, दृढ़ निश्चय और दयालुता से दर्शकों के दिल में एक खास जगह बना ली है। आज वह शो की सबसे मजबूत प्रतियोगियों में से एक हैं और विजेता बनने की रेस में भी आगे हैं।