फरीदाबाद। श्रीराम सोसाइटी ऑफ रियल एजुकेशन की चेयरपर्सन डॉ. अमृता ज्योति ने कहा कि मानसिक शांति के बिना कोई भी समाज या व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। हमारे ऋषि-मुनियों की परंपराओं में मानसिक संतुलन और ध्यान के गहरे सूत्र हैं, जिन्हें आधुनिक विज्ञान से जोड़कर हम नई दिशा दे सकते हैं।
वे अमृता अस्पताल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि बदलते आधुनिक परिवेश में मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक शांति आज एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। इस चुनौती का समाधान ज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म के संतुलित समन्वय में निहित है। सम्मेलन का आयोजन श्रीराम सोसाइटी ऑफ रियल एजुकेशन, इंटरनेशनल यूनाइटेड एजुकेशनिस्ट फ्रेटरनिटी ट्रस्ट तथा हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस के संयुक्त तत्वावधान में में किया गया।
सम्मेलन में देशभर से आए 1500 से अधिक शिक्षकों, प्राचार्यों, अध्यात्म जगत के विशेषज्ञों और शिक्षा क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं गुरुवाणी से हुई, जिसके बाद “इंटरनेशनल पीस कॉन्फ्रेंस ऑन मेंटल हेल्थ एंड वेलनेस” विषय पर संवाद सत्र आयोजित हुआ। डॉ ज्योति ने बताया कि श्री राम मॉडल स्कूल में इसी उद्देश्य से शिक्षा के साथ मानसिक स्वास्थ्य और मूल्यनिष्ठ जीवन शैली पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
जीवा स्कूल के अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान ने कहा, आज शिक्षा केवल सूचना देने का माध्यम नहीं, बल्कि संवेदनशील और संतुलित व्यक्तित्व निर्माण का साधन बननी चाहिए। इंडिया पब्लिक पॉलिसी कमेंटेटर और दार्शनिक लेखक राहुल ईश्वर ने कहा, भारत की आध्यात्मिक धरोहर में ही वह शक्ति है जो आधुनिक मानसिक संकटों का स्थायी समाधान दे सकती है। इंडियन नेशनल ह्यूमन राइट्स के चेयरपर्सन एंथोनी राजू ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य, मानवाधिकारों का मूल तत्व है। हर स्कूल और संस्थान को इस दिशा में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। आर्ट ऑफ लिविंग के राष्ट्रीय निदेशक राजीव नांबियार ने कहा, योग, ध्यान और प्राणायाम मानसिक संतुलन के सबसे प्रभावी साधन हैं, जिन्हें शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
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ओसियन सेंटर्स यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट इंडिया के डॉ. रविराज अत्रे ने कहा, जब हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अध्यात्म से जोड़ते हैं, तब मनुष्य का समग्र विकास संभव होता है।कवि दिनेश रघुवंशी ने कहा, शांति की सबसे सुंदर कविता वही है, जो मनुष्य के भीतर गूँजती है। आईयूईएफ के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा, यह सम्मेलन मानसिक स्वास्थ्य के प्रति शिक्षकों और समाज की भूमिका को एकजुट करने की दिशा में सार्थक पहल है। हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली ने कहा, राज्य सरकार शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के समन्वित विकास के लिए प्रतिबद्ध है, और ऐसे आयोजन समाज को नई दिशा देते हैं। कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग, ब्रह्मा कुमारीज और इस्कॉन के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने आयोजन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। श्री राम स्कूल के छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक शांति का सुंदर संदेश दिया। सम्मेलन में विशेष रूप से उपस्थित उद्योगपति एवं “ट्रीमैन” के नाम से प्रसिद्ध एस. एस. बांगा ने कहा, प्रकृति से जुड़ाव मानसिक शांति का सबसे सहज मार्ग है। वहीं हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सुरेश चंद्र ने कहा, शिक्षक समाज के मानस को गढ़ने वाले मूर्तिकार हैं, इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उनका जागरूक होना आवश्यक है। सम्मेलन में उपस्थित सभी अतिथियों ने इस बात पर जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य केवल चिकित्सा का नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और अध्यात्म के समन्वित प्रयासों का परिणाम है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत संगठन मंत्री संजय कासवां ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा के बदलते आधुनिक प्रवेश में छात्रों के लिए यह जरूरी है कि वे संसाधनों का सावधानी पूर्वक इस्तेमाल करें।
अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन ने इस दिशा में एक प्रेरक मंच प्रदान किया, जिसने यह संदेश दिया कि जब तक मन शांत नहीं, तब तक कोई समाज विकसित नहीं हो सकता। आए हुए अतिथियों के लिए स्वागत भाषण हरियाणा प्रोगेसिव स्कूल कांफ्रेंस के सुरेशचंद्र ने दिया। इस मौके पर स्किल एजुकेशन के अंडर सेक्रेटरी राजीव पांडे, श्रीराम रियल एजुकेशन सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्य संजय कक्कड़, जगदीप ग्रोवर, भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री के सलाहकार पंकज मिश्रा आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।