‘एक सीन को किस तरह सोचा और प्रस्तुत किया जाता है, वही असली फर्क लाता है’: जॉर्जिया एंड्रियानी ने सिनेमा में महिलाओं के किरदार पर खुलकर बात की

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। सालों से, हाल ही में अभिनेत्री जियोर्जिया एंड्रियानी ने सिनेमा में महिलाओं के चित्रण—विशेष रूप से भारतीय फिल्मों के सदाबहार “डांस नंबर्स”—को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा की शुरुआत की है। अपने काम के प्रति विचारशील दृष्टिकोण के लिए जानी जाने वाली जियोर्जिया ने यह स्पष्ट किया कि नारीत्व का उत्सव मनाना और महिलाओं को केवल आकर्षण का साधन बनाना, दोनों में बुनियादी अंतर है। उनके विचारों ने यह उजागर किया कि फिल्म इंडस्ट्री किस तरह मनोरंजन और महिलाओं के प्रति सम्मानजनक प्रस्तुति के बीच संतुलन बना सकती है।

डांस सीक्वेंस और सिनेमा में महिलाओं की भूमिका पर खुलकर बोलते हुए जियोर्जिया ने एक संतुलित और सूक्ष्म नजरिया पेश किया। जिसने इस मुद्दे की जटिलता को स्वीकार किया। उन्होंने बताया, “एक सीन को किस सोच के साथ गढ़ा गया है और उसे कैसे जीवंत किया गया है, यही सबसे अहम होता है। जब सही तरीके से किया जाए, तो डांस नंबर्स बेहद सशक्त हो सकते हैं और महिलाओं की खूबसूरती, आत्मविश्वास और ताकत का उत्सव बन सकते हैं। मैं ऐसे प्रोजेक्ट्स की ओर आकर्षित होती हूँ जो किसी महिला के केवल शारीरिक रूप-रंग के बजाय उसकी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास को उजागर करते हैं।” उनकी यह सोच इस बात पर ज़ोर देती है कि दर्शकों को स्क्रीन पर सिर्फ़ जो दिखता है, उससे आगे जाकर यह भी समझना ज़रूरी है कि उस रचनात्मक निर्णय के पीछे का उद्देश्य और संदेश क्या है।

अभिनेत्री ने महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करते हुए कलात्मक अखंडता बनाए रखने वाली परियोजनाओं का हिस्सा बनने की अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “मैं ऐसी भूमिकाएँ चुनने में विश्वास करती हूँ जो सिनेमा में कुछ सार्थक योगदान दें। जब कहानी कहने के पीछे सच्ची मंशा हो, तो मनोरंजन और सम्मान खूबसूरती से एक साथ रह सकते हैं। फिल्म इंडस्ट्री समाज की सोच को आकार देने की ताकत रखती है और मैं उस सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनना चाहती हूं”

उनका दर्शन उस शुरुआत को दर्शाता है जो संभवतः इंडस्ट्री के भीतर बदलाव के लहर के रूप में काम कर सकती है, जहां कलाकार अब केवल अभिनय तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उस प्रभाव को लेकर भी सजग हैं जो उनके काम का असर समाज पर पड़ता है।
जियोर्जिया एंड्रियानी उस बदलाव का चेहरा बन सकती हैं—जहां महिलाओं का चित्रण सिर्फ़ सुंदरता तक सीमित नहीं, बल्कि सशक्तिकरण का माध्यम बनता है।

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