टुडे एक्सप्रेस न्यूज। रिपोर्ट अजय वर्मा। दिल्ली। थर्मल पावर प्लांटों में बायोमास के प्रयोग पर राष्ट्रीय मिशन (समर्थ) द्वारा राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (एनपीटीआई) के सहयोग से कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में “एबीसी-एक्सीलरेटिंग बायोमास को-फायरिंग” पर राष्ट्रीय बायोमास सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन विद्युत मंत्रालय के उर्जा सचिव आईएएस श्री पंकज अग्रवाल ने किया जिनके साथ विद्युत मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री पीयूष सिंह, एनटीपीसी लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री गुरदीप सिंह, सीईए सदस्य (थर्मल) श्री प्रवीण गुप्ता, सीएक्यूएम के अध्यक्ष श्री राजेश वर्मा और एनपीटीआई की महानिदेशक डा. तृप्ता ठाकुर मौजूद रहीं। इस सम्मेलन में मंत्रालय के अलावा विनियामक निकाय, वित्तीय संस्थान, पेलेट निर्माता, उद्यमी, ओईएम, किसान संगठन आदि ने भाग लिया। किसानों ने बायोमास पर एक भव्य प्रदर्शनी भी लगाई जिसे देखकर सभी ने प्रसंशा की।
सम्मेलन का उद्देश्य भारत में ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास पेलेट्स के सह-प्रज्वलन को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना तथा इस क्षेत्र के सभी हितधारकों को अपने ज्ञान और अनुभव को साझा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है।
इस मंच पर अलग अलग विषयों पर चार सत्र आयोजित किए गए, जिसमें थर्मल पावर प्लांट में बायोमास को-फायरिंग में तेजी लाना, नए मोर्चेः बायोमास पेलेटाइजेशन, बायोमास को बदलना- बेल से पेलेट तक, बायोमास में मानकों और अनुसंधान को आगे बढ़ाना जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि रहे विद्युत मंत्रालय के उर्जा सचिव आईएएस श्री पंकज अग्रवाल ने कहा कि देश में 1400 यूनिट बिजली प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष खर्च की जाती है जिसे बढाकर 3500 यूनिट तक ले जाने का लक्ष्य है। जिसे विकसित भारत का सपना साकार हो सके। 2030 में बिजली की उत्पादन क्षमता जितनी होगी उसके 50 प्रतिशत गैर जीवाश्म ईधन उत्पन्न होगा। वर्तमान में ये आंकडा 49.2 है। श्री अग्रवाल ने कहा कि बायोमास सह-प्रज्वलन का 700 टन का रनरेट था जो कि अब 5000 टन हो चुका है। उनका लक्ष्य 10,000 टन बायोमास सह-प्रज्वलन तक ले जाना है।
“एबीसी-एक्सीलरेटिंग बायोमास को-फायरिंग” पर राष्ट्रीय बायोमास सम्मेलन के सहयोगह एनपीटीआई की महानिदेशक डा. तृप्ता ठाकुर ने सम्मेलन में शामिल हुए सभी मुख्य अतिथि, अतिथि और भागीदारों का अभार व्यक्त किया। डा. ठाकुर ने कहा कि यह सम्मेलन भारत में उर्जा क्षेत्र के अतर्गत होने वाले अमूलचूल परिवर्तनों की दिशा में ठोस कदम है। पराली प्रबधन टीम ने न सिर्फ किसानों की आमदनी को दोगुना किया है बल्कि पर्यावरण सरंक्षण करने में भी सहयोग किया है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
आपको बता दें कि कृषि पराली जलाने के कारण विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण की ज्वलंत समस्या से निपटने और ताप विद्युत उत्पादन के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए, विद्युत मंत्रालय ने 12 जुलाई 2021 को ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन (समर्थ) की शुरुआत की और 8 अक्टूबर, 2021 को संशोधित बायोमास नीति जारी की गई, जिसमें देश के सभी टीपीपी को कोयले के साथ सह-फायरिंग में 5 प्रतिशत बायोमास छर्रों का उपयोग करना अनिवार्य किया गया।