टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। कृष्णा श्रॉफ लगातार यह साबित कर रही हैं कि वह ‘छोरियां चली गांव’ की सबसे दिलचस्प कंटेस्टेंट्स में से एक क्यों हैं। हालिया एपिसोड में कंटेस्टेंट्स को एक बेहद रोमांचक अनुभव का सामना करना पड़ा। चुनौती—बमूलिया गांव के लोगों को संवारने का एक फुल मेकओवर टास्क। मालिश, हेयरकट, शेविंग और स्टाइलिंग जैसे कामों के ज़रिए लड़कियों को अपनी सीमा से बाहर जाकर गांववालों का विश्वास जीतना था।
जहां कई कंटेस्टेंट्स इस चुनौती से घबराए हुए दिखे, वहीं कृष्णा श्रॉफ ने एक बार फिर अपने निडर रवैये और लोगों से जुड़ने की गहरी क्षमता से सबका ध्यान खींचा। उन्हें शेविंग और आइब्रो शेपिंग जैसी सलून सेवाएं दी गईं—जो उन्होंने पहले कभी नहीं की थीं। फिर भी कृष्णा ने बिना झिझके इस चुनौती को स्वीकार किया और इसे पूरे परफेक्शन के साथ पूरा किया, अपने ग्रामीण ग्राहक के चेहरे पर मुस्कान ला दी।
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इस पल को और भी खास बना दिया कृष्णा की एक पुरानी याद ने। उन्होंने बताया कि कैसे यह अनुभव उन्हें उनके शुरुआती दिनों की ओर ले गया, जब वह युवा लड़कियों को बास्केटबॉल सिखाती थीं। उन्होंने साझा किया, “मैं बच्चों को बास्केटबॉल सिखाया करती थी और आज का यह टास्क मुझे उन्हीं दिनों में ले गया, जब मुझे मेरी पहली तनख्वाह मिली थी। एक बार फिर यह एहसास हुआ कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।”
यही दृढ़ संकल्प, दिल से काम करने का जज़्बा और जुड़ाव की भावना है, जो कृष्णा को गांववालों की पसंद बना रहा है। हर टास्क के साथ वह न सिर्फ़ अपनी बहुआयामी प्रतिभा और प्रतिस्पर्धा दिखा रही हैं, बल्कि लोगों के साथ असली रिश्ते भी बना रही हैं जिन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल है। अगर उनकी यह रफ्तार बनी रही, तो कृष्णा श्रॉफ इस सीज़न की सबसे मजबूत दावेदार साबित हो सकती हैं। आखिरकार, वह यह दिखा रही हैं कि असली ताक़त सिर्फ़ टास्क पूरा करने में नहीं, बल्कि उन्हें ईमानदारी, गर्मजोशी और प्रभाव के साथ निभाने में है।