विश्व चाइल्डहुड कैंसर दिवस पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के डॉक्टर मीत कुमार ने बीमारी के बारे में दी जानकारी ।

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Dr. Meet Kumar

टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट अजय वर्मा। बच्चों में होने वाले कैंसर पर जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से हर साल 15 फरवरी को ‘विश्व चाइल्डहुड कैंसर दिवस’ मनाया जाता है। इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. मीत कुमार, डायरेक्टर एवं एचओडी-हेमेटो ऑन्कोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि आमतौर पर कैंसर बड़े लोगों में होने वाली बीमारी मानी जाती है लेकिन पिछले कुछ दशकों से बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। बच्चों में ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर), लिंफोमा (गर्दन की लिंफनोड ग्रंथियों में सूजन, गांठ व दर्द होना), ब्रेन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा, बोन कैंसर, रेटिनोब्लास्टोमा आदि कैंसर ज्यादा देखने को मिलता हैं। लेकिन ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) बच्चों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। चाइल्डहुड कैंसर बड़ों में होने वाले कैंसर से थोडा अलग होते हैं। बड़ों में कैंसर ज्यादातर अस्त-व्यस्त जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों के कारण होते हैं, केवल 5 फीसदी चाइल्डहुड कैंसर के पीछे इनका हाथ होता है। असल में जेनेटिक कारणों या सेल्स में बायोलॉजिकल म्युटेशन से बच्चों में कैंसर होते हैं।

बच्चों में हर उम्र में अलग-अलग प्रकार का कैंसर देखने को मिलता है। नवजात में पेट का ट्यूमर व आंख का रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर मुख्य रूप से होता है। वहीं, एक से पांच साल तक के बच्चों में ब्लड कैंसर और बड़े बच्चों में बोन कैंसर ज्यादा देखने को मिलता है। किशोरियों में ब्लड कैंसर, ल्यूकोमा, बच्चेदानी, रीप्रोडक्टिव ऑर्गन के कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं। बचाव के लिए 9-13 वर्ष की उम्र में लड़कियों को ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन लगवा देनी चाहिए। इसके अलावा किशोरियां को मेंसुअल हाइजीन का ध्यान भी रखना चाहिए।
इन लक्षण को न करने नज़रंदाज:
बच्चे का अचानक बिना किसी कारण तेजी से वजन कम होना, सुबह के समय सिर दर्द या उल्टी की फीलिंग आना, बार-बार दौरे पड़ना, हड्डियों, जोड़ों, पीठ या पैरों में लगातार सूजन या दर्द रहना, बार-बार बुखार आना, देखने की क्षमता में बदलाव आना, चेहरा पीला या सफ़ेद पड़ना, भूख कम लगना, बहुत ज्यादा थकावट होना, घाव होना या खून बहना, गर्दन की गांठों का बढ़ना और स्किन पर गहरे लाल धब्बे होना आदि लक्षण को नज़रंदाज न करें क्योंकि ये लक्षण कैंसर की ओर इशारा करते हैं.
यदि कैंसर का समय पर पता चल जाए तो इसका प्रभावी तरीके से इलाज किया जा सकता है। बच्चों में जरूरत के हिसाब से कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से बच्चों को जल्द स्वस्थ किया जा सकता है। बच्चों के कैंसर में 90 प्रतिशत मामलों में कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ती है। हालांकि, बच्चे इसे अच्छी तरह से झेल लेते हैं।

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