कला, प्रसिद्धि और आत्म-अभिव्यक्ति पर जेन ज़ी स्टार कावेरी कपूर की राय

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा, मुंबई। कावेरी कपूर भले ही जेनरेशन ज़ी से हों, लेकिन वह एक आम जेन ज़ी कलाकार नहीं हैं। फिल्म निर्देशक शेखर कपूर और गायिका-अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ति की बेटी कावेरी ने बॉबी और ऋषि की लव स्टोरी से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा है, लेकिन उन्होंने अपने समकालीनों से एक अलग राह चुनी है, जो उनके साथियों की तुलना में काफी अलग है। फिल्मों में आने से पहले ही कावेरी एक स्थापित संगीतकार और कवित्री थीं — उनके चार म्यूज़िक वीडियो पहले से ही रिलीज़ हो चुके थे! अपने पिता की तरह गहराई से सोचने वाली कावेरी को अपने प्रतिभाशाली माता-पिता से भरपूर प्रेरणा मिलती है, और यही बात उन्हें एक “ओल्ड सोल” बनाती है, जैसा कि वह खुद कहती हैं।

एक मशहूर उपनाम और डेब्यू के बाद बढ़ती फैन-फॉलोइंग के बावजूद कावेरी बेहद ज़मीन से जुड़ी हुई नज़र आती हैं। उनकी बातचीत अक्सर उनके संगीत और कविताओं के ज़रिए खुद को अभिव्यक्त करने के तरीके पर केंद्रित होती है — वह एक कलाकार की तरह बात करती हैं, न कि किसी सेलिब्रिटी की तरह। जब उनसे उनकी प्रसिद्धि के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि जब लोग मेरा संगीत सुनें या मेरी कविताएं पढ़ें, तो उन्हें कुछ सच्चा महसूस हो। मैं चाहती हूं कि वे उस किरदार से जुड़ सकें जिसे मैं निभा रही हूं। मैं चाहती हूं कि मेरे प्रोजेक्ट्स देखने वाले लोग मुझसे एक असली रिश्ता बना पाएं। यही वह ‘प्रसिद्धि’ है जिसके लिए मैं जानी जाना चाहती हूं।”

अपने साथियों से अलग, कावेरी का आत्म-अभिव्यक्ति का तरीका बेहद सादा है — अपनी एक अलग राह बनाना, अपनी प्रतिभा से, न कि हर रोज़ बदलते ट्रेंड्स की भीड़ का हिस्सा बनकर। कावेरी कहती हैं, “मुझे लगता है कि खुद को नेचुरल बनाए रहना सबसे विद्रोही काम है जो आप अभी कर सकते हैं,” उन्होंने कई बार ओसीडी (OCD) के साथ अपने संघर्षों के बारे में भी खुलकर बात की है। और चूंकि जेन ज़ी के लिए आज सबसे अहम बात है किसी से जुड़ाव और अपनापन महसूस करना, ऐसे में कावेरी की सलाह को ‘परिपक्व’ कहा जा सकता है। एक ऐसी दुनिया में जहाँ लोग शॉर्टकट लेकर जल्द से जल्द फल पाने की होड़ में लगे हैं, कावेरी कपूर की योजना है कुछ सच्चा बनाना — धीरे, स्थिरता से, लेकिन लंबे समय तक टिकने वाला।

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