श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में हमारी भी भूमिका : कैलाश शर्मा

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Today Express News / Report / Ajay Verma /  हरियाणा से आए हैं मंदिर वहीं बनाएंगे। 5 अगस्त को भगवान राम का मंदिर बनने का शुभ कार्य शुरू होने जा रहा है।यह शुभ घड़ी लाने से पहले जितने भी प्रयास हुए हैं उनमें राम सेतु निर्माण में गिलहरी की भूमिका की तरह हमारा भी बहुत थोड़ा सा प्रयास रहा है। प्रथम प्रयास तब हुआ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह थे। हरियाणा से आए हैं मंदिर वहीं बनाएंगे उदघोष के साथ फरीदाबाद जिले से उस समय के संघ जिला प्रचारक विजय जी के मार्गदर्शन में फरीदाबाद से 60 और मेरे गांव कस्बा जट्टारी जिला अलीगढ़ से भी 60 कार सेवक कुल 120 कारसेवकों का जत्था मानव सेवा समिति के संस्थापक शुभकरण साहू के नेतृत्व में अयोध्या गया था। एनआईटी स्थित वैश्य भवन में सभी का सार्वजनिक अभिनंदन करके अयोध्या के लिए रवाना किया गया। यह जत्था नई दिल्ली से लखनऊ उसके बाद लखनऊ से फैजाबाद की ट्रेन में बैठकर अयोध्या के लिए प्रस्थान किया। लेकिन फैजाबाद से पहले ही मानकपुर रेलवे स्टेशन पर सभी 120 कारसेवक उतर गए बाद में पुलिस को पता चल गया और सभी को एक इंटर कॉलेज में जाकर के पुलिस निगरानी में ठहराया गया । 2 दिन तक वहीं पर रहे वहीं पर शाखा लगाई भजन कीर्तन किया बाद में सभी को दो बसों में नैनी जेल के लिए ले जाया गया। लगभग 100 किलोमीटर जाने के बाद बस को एक होटल पर सभी को चाय पानी पिलाने के लिए रोका गया। हमने सोचा कि नैनी जेल के अंदर जाकर के फिर कैद हो जाएंगे क्यों ना अयोध्या जाने का अभी भी प्रयास किया जाए। अपनी इस आकांक्षा में मैंने अपने सखा व जिला कार्यवाह बलवीर जी, स्वयंसेवक अनिल सचदेवा और मेरे गांव के एक कारसेवक को शामिल किया और वापस बस में ना बैठ कर वहां से नौ दो ग्यारह हो गए। और चुपके चुपके एक हिंदू परिवार के घर पहुंच कर रात्रि विश्राम किया। वाकी के कारसेवक नैनी जेल पहुंचा दिए गए। हम चारों ने जय श्री राम का नाम लेकर अगले दिन सुबह से अयोध्या के लिए 200 किलोमीटर की पदयात्रा छुपते छुपाते गांव के पहरेदार की निगरानी में मेन सड़क को छोड़कर खेत, खलियान के रास्ते एक हफ्ते में पूरी की। क्योंकि चारों तरफ पुलिस का पहरा था पुलिस कुर्ता पजामा पहनने वाले, तिलक लगाने वाले, कंधे पर तोलिया डालने वालों को पकड़ रही थी। अतः हमें थेली में मूली गाजर ,आलू, टमाटर आदि रखने पड़ते थे और कोई भी जानकारी लेने के लिए पहले यह सुनिश्चित करना होता था कि जानकारी देने वाला पक्का हिंदू है ,सनातनी है और राम भक्त है। कई जगह गांव वाले हमको गौशाला या गोदाम में रात्रि को छुपाते थे। लेकिन उन्होंने बहुत ही प्यार व मान सम्मान दिया ।आगे की यात्रा पर जाने से पहले तिलक लगाकर अभिनंदन करते थे और एक व्यक्ति के साथ अगले गांव की सीमा तक पहुंचाते थे।

परिवहन मंत्री मूलचन्द शर्मा ने किया परिवहन विभाग में चालक और परिचालक की ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलसी का शुभारंभ 

जय श्रीराम बोलते बोलते किसी तरह अयोध्या की सीमा में पहुंचे लेकिन सभी कारसेवकों के साथ-साथ हमको भी बाबरी ढांचे से 1 किलोमीटर की दूरी पर रोक लिया गया । कारसेवकों ने विरोध तो बहुत किया लेकिन चारों तरफ पुलिस ही पुलिस थी वह भी कई वर्दी वाली। उसके बाद पता चला कि कारसेवकों पर गोली चला दी गई है और कई कारसेवक शहीद हो गए हैं । अफरा तफरी के माहौल में कारसेवको को जबरदस्ती रोडवेज की बसों में बैठाकर के अयोध्या से 100 किलोमीटर की दूरी पर छोड़ दिया गया । हमें भी लखनऊ छोड़ दिया गया और हम फरीदाबाद वापस आ गए। बाबरी ढांचा हटाने के लिए दूसरा प्रयास तब हुआ जब कल्याण सिंह जी यूपी के मुख्यमंत्री थे उस समय भी मैं अपने विभाग भारतीय खाद्य निगम के अपने साथी ओम प्रकाश शर्मा के साथ अयोध्या कारसेवा के लिए गया । श्री राम जी की कृपा से इस बार अयोध्या जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। और हम लगातार 15 दिन तक ढांचे के बराबर होने वाले रोजाना के कीर्तन, भजन व राम कथा को सुनकर अपना ज्ञान वर्धन करते रहे और आडवाणी जी की राम रथ यात्रा के बारे में जानते रहे। और फिर वह शुभ दिन आया जब कारसेवकों ने उस ढांचे को तहस-नहस कर दिया और उस ढांचे की जगह बीच वाले गुंबद के नीचे की जगह पर चबूतरा बनाकर उसमें पुनःरामलला की मूर्ति को स्थापित कर दिया। जो रामलला की मूर्ति स्थापित करने के लिए चबूतरा बनाया गया मुझे गर्व है कि उसको बनवाने में मैंने और ओम प्रकाश जी ने भी श्रमदान करके अपने मानव जीवन को सफल बनाया और श्री रामलला का आशीर्वाद प्राप्त किया। राम जन्मभूमि आंदोलन में अपना यह थोड़ा सा प्रयास करके हम फरीदाबाद वापस आ गए। तीन महीने बाद मेरे एफसीआई ऑफिस में सीबीआई के लोग आए और उन्होंने पूछा कि यहां से दो कर्मचारी अयोध्या में ढांचा गिराने के कार्य में शामिल हुए हैं। लेकिन राम जी की कृपा से हम बच गए, हमारी केंद्र सरकार की नौकरी सुरक्षित रही ।अब नौकरी कैसे बची , उसको यहां बताने की कोई जरूरत नहीं है सब भगवान राम की कृपा से अच्छा हुआ। यहां यह बात बतानी बहुत जरूरी है कि जब हम अयोध्या आंदोलन में गए तो कई महिलाओं ने मेरी पत्नी से आकर के कहा कि आपने अपने आदमी को क्यों अयोध्या भेज दिया वहां पर गोलीबारी हो सकती है तो मेरी पत्नी ने यही कहा कि गोली से जो मरेगा वह भी तो किसी का लाल होगा, पति होगा ।मुझे गर्व है कि मेरा आदमी अयोध्या राम काज के लिए गया है। मैं मानता हूं कि मेरे इन दोनों प्रयास में मेरी पत्नी की भी सराहनीय भूमिका रही।

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