हसीन दिलरुबा के 4 साल हुए पूरे: जब कलर येलो ने दिखाया कि प्रेम हमेशा खूबसूरत नहीं होता, लेकिन वह फिर भी प्रेम ही होता है

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टुडे एक्सप्रेस न्यूज़। रिपोर्ट मोक्ष वर्मा। मुंबई, एक दशक से भी अधिक समय से, आनंद एल राय की ‘कलर येलो प्रोडक्शन्स’ हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार प्रेम कहानियों की धड़कन रही है—चाहे वह तनु वेड्स मनु की उथल-पुथल भरी मोहब्बत हो, रांझणा का जुनूनी प्यार, या शुभ मंगल ज़्यादा सावधान जैसी एलजीबीटीक्यू+ कहानियों की बेमिसाल प्रस्तुति के साथ नई शुरुआत की। लेकिन 2021 में, आनंद एल राय के बैनर ने हसीन दिलरुबा के साथ एक डार्क और थ्रिलिंग मोड़ के साथ हसीन दिलरुबा पेश की—एक ऐसी कहानी जो जुनून, विश्वासघात और हत्या के इर्द-गिर्द घूमती है।

विनील मैथ्यू द्वारा निर्देशित और कनिका ढिल्लों द्वारा लिखित, इस रोमांटिक थ्रिलर का निर्माण आनंद एल राय और हिमांशु शर्मा ने किया था।

हसीन दिलरुबा में तापसी पन्नू ने रानी कश्यप की भूमिका निभाई है—एक तेज-तर्रार, छोटे शहर की लड़की है, जो अपने शांत, गंभीर पति रिशु (विक्रांत मैसी) और अपने मोहक प्रेमी नील (हर्षवर्धन राणे) के बीच फंसी हुई है। एक साधारण लव ट्रैग्ल जैसा दिखने वाला यह रिश्ता जल्दी ही धोखे और चाहत के एक खतरनाक खेल में तब्दील हो जाता है, और अंत ऐसा होता है जो रोमांटिक थ्रिलर्स की परिभाषा ही बदल देता है। फिल्म की परतदार कहानी, इसकी बदलती समयसीमा और अविश्वसनीय नैरेशन ने इसे साल की सबसे चर्चित रिलीज़ में से एक बना दिया।

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आनंद एल राय और कलर येलो के लिए, यह एक महत्वपूर्ण रचनात्मक बदलाव था। अपने किरदारों में भावना और सरलता लाने के लिए जाने जाने वाले आनंद एल राय ने हसीन दिलरुबा का इस्तेमाल प्यार के एक अलग पक्ष को दिखाने के लिए किया, जो वास्तविक, दोषपूर्ण और नैतिक रूप से धुंधला है। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर एक स्लीपर हिट बन गई और धीरे-धीरे एक कल्ट फॉलोइंग खड़ी कर ली, जिसका परिणाम रहा 2024 में रिलीज़ हुई इसकी सीक्वल ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ को जन्म दिया, जो 2024 में ओटीटी चार्ट की रैंकिंग्स में टॉप स्थान हासिल किया।

अब जब हसीन दिलरुबा को चार साल पूरे हो चुके हैं, यह फिल्म ‘कलर येलो’ की बदलती कहानी कहने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गई है। आने वाली फिल्म तेरे इश्क़ में, जो नवंबर 2025 में रिलीज़ होगी, इस बात का प्रमाण है कि आनंद एल राय आज भी यह साबित कर रहे हैं कि प्रेम—चाहे वह मीठा हो, अजीब हो या उग्र—हर रूप में पर्दे पर दिखाए जाने योग्य है।

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